मुक्तक:
संजीव
*
गर्मजोशी से न स्वागत हो जहाँ, यही अच्छा है वहाँ मत जाइए
किसी कारण गर पहुँच ही जाएँ तो, शीघ्रता से लौट आइए
अकारण कोई करे तकरार तो, शांत रहकर आप ही हट जाइए
मुसीबत गर गले पड़ ही जाए तो, धैर्य धरकर सबक भी सिखलाइए
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संजीव
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गर्मजोशी से न स्वागत हो जहाँ, यही अच्छा है वहाँ मत जाइए
किसी कारण गर पहुँच ही जाएँ तो, शीघ्रता से लौट आइए
अकारण कोई करे तकरार तो, शांत रहकर आप ही हट जाइए
मुसीबत गर गले पड़ ही जाए तो, धैर्य धरकर सबक भी सिखलाइए
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