सोमवार, 21 सितंबर 2015

doha muktika

दोहा मुक्तिका :

जंगल-पर्वत मिटाकर, धरा कर रहा गर्म
भोग रहा अंजाम पर, मनुज न करता शर्म
*
काम करो निष्काम रह, गीता में उपदेश
कृष्ण दे गये, सुन-समझ, करते रहिए कर्म
*
मेहनतकश का काम ही, प्रभु की पूजा मान
अश्रु पोंछना स्वार्थ बिन, सच्चा मानव धर्म
*
पत्थर से सिर फोड़ मत, युक्ति लगा दे तोड़
मत कठोर मधुकर रहे सदा कली सँग नर्म 
*
अहं भुला रस-भाव में, जाता जब कवि डूब 
सफल वही कविता 'सलिल', जिसमें जीवन मर्म
*

doha muktika:

दोहा मुक्तिका :

जंगल-पर्वत मिटाकर, धरा कर रहा गर्म
भोग रहा अंजाम पर, मनुज न करता शर्म
*
काम करो निष्काम रह, गीता में उपदेश
कृष्ण दे गये, सुन-समझ, करते रहिए कर्म
*
मेहनतकश का काम ही, प्रभु की पूजा मान
अश्रु पोंछना स्वार्थ बिन, सच्चा मानव धर्म
*
पत्थर से सिर फोड़ मत, युक्ति लगा दे तोड़
मत कठोर मधुकर रहे सदा कली सँग नर्म 
*
अहं भुला रस-भाव में, जाता जब कवि डूब 
सफल वही कविता 'सलिल', जिसमें जीवन मर्म
*




muktak

मुक्तक:
संजीव
*
गर्मजोशी से न स्वागत हो जहाँ, यही अच्छा है वहाँ मत जाइए
किसी कारण गर पहुँच ही जाएँ तो,  शीघ्रता से लौट आइए
अकारण कोई करे तकरार तो, शांत रहकर आप ही हट जाइए
मुसीबत गर गले पड़ ही जाए तो, धैर्य धरकर सबक भी सिखलाइए
*


गुरुवार, 2 जुलाई 2015

neembu par dohe: sanjiv

दोहे का रंग नीबू के संग :
संजीव
*









वात-पित्त-कफ दोष का, नीबू करता अंत
शक्ति बढ़ाता बदन की, सेवन करिये कंत
*
ए बी सी त्रय विटामिन, लौह वसा कार्बोज
फॉस्फोरस पोटेशियम, सेवन से दें ओज
*
मैग्निशियम प्रोटीन सँग, सोडियम तांबा प्राप्य
साथ मिले क्लोरीन भी, दे यौवन दुष्प्राप्य
*
नेत्र ज्योति की वृद्धि कर, करे अस्थि मजबूत
कब्ज मिटा, खाया-पचा, दे सुख-ख़ुशी अकूत
*
जल-नीबू-रस नमक लें, सुबह-शाम यदि छान
राहत दे गर्मियों में, फूँक जान में जान
*
नींबू-बीज न खाइये, करे बहुत नुकसान
भोजन में मत निचोड़ें, बाद करें रस-पान
*
कब्ज अपच उल्टियों से, लेता शीघ्र उबार
नीबू-सेंधा नमक सँग, अदरक है उपचार
*
नींबू अजवाइन शहद, चूना-जल लें साथ
वमन-दस्त में लाभ हो, हँसें उठकर माथ
*
जी मिचलाये जब कभी, तनिक न हों बेहाल
नीबू रस-पानी-शहद, आप पियें तत्काल
*











नींबू-रस सेंधा नमक, गंधक सोंठ समान
मिली गोलियाँ चूसिये, सुबह-शाम गुणवान
*
नींबू रस-पानी गरम, अम्ल पित्त कर दूर
हरता उदर विकार हर, नियमित पियें हुज़ूर
*
आधा सीसी दर्द से, परेशान-बेचैन
नींबू रस जा नाक में, देता पल में चैन
*
चार माह के गर्भ पर, करें शिकंजी पान
दिल-धड़कन नियमित रहे, प्रसव बने आसान
*
कृष्णा तुलसी पात ले, पाँच- चबायें खूब
नींबू-रस पी भगा दें, फ्लू को सुख में डूब
*
पियें शिकंजी, घाव पर, मलिए नींबू रीत
लाभ एक्जिमा में मिले, चर्म नर्म हो मीत
*
कान दर्द हो कान में, नींबू-अदरक अर्क
डाल साफ़ करिये मिले, शीघ्र आपको फर्क
*
नींबू-छिलका सुख कर, पीस फर्श पर डाल
दूर भगा दें तिलचटे, गंध करे खुशहाल
*
नीबू-छिलके जलाकर, गंधक दें यदि डाल
खटमल सेना नष्ट हो, खुद ही खुद तत्काल
*
पीत संखिया लौंग संग, बड़ी इलायची कूट
नींबू-रस मलहम लगा, करें कुष्ठ को हूट
*








नींबू-रस हल्दी मिला, उबटन मल कर स्नान
नर्म मखमली त्वचा पा, करे रूपसी मान
*
मिला नारियल-तेल में, नींबू-रस नित आध
मलें धूप में बदन पर, मिटे खाज की व्याध
*
खूनी दस्त अगर लगे, घोलें दूध-अफीम
नींबू-रस सँग मिला पी, सोयें बिना हकीम
*
बवासीर खूनी दुखद, करें दुग्ध का पान
नींबू-रस सँग-सँग पियें, बूँद-बूँद मतिमान
*
नींबू-रस जल मिला-पी, करें नित्य व्यायाम
क्रमश: गठिया दूर हो, पायेंगे आराम
*
गला बैठ जाए- करें, पानी हल्का गर्म
नींबू-अर्क नमक मिला, कुल्ला करना धर्म
*
लहसुन-नींबू रस मिला, सिर पर मल कर स्नान
मुक्त जुओं से हो सकें, महिलायें अम्लान
*
नींबू-एरंड बीज सम, पीस चाटिये रात
अधिक गर्भ संभावना, होती मानें बात
*
प्याज काट नीबू-नमक, डाल खाइये रोज
गर्मी में हो ताजगी, बढ़े देह का ओज
*
काली मिर्च-नमक मिली, पियें शिकंजी आप
मिट जाएँगी घमौरियाँ, लगे न गर्मी शाप
*
चेहरे पर नींबू मलें, फिर धो रखिये शांति
दाग मिटें आभा बढ़े, अम्ल-विमल हो कांति
***



 
       

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

शुभ कामनाएं सभी को... संजीव "सलिल"

शुभ कामनाएं सभी को...


संजीव "सलिल"

salil.sanjiv@gmail.com

divyanarmada.blogspot.com

*

शुभकामनायें सभी को, आगत नवोदित साल की.

शुभ की करें सब साधना,चाहत समय खुशहाल की..

शुभ 'सत्य' होता स्मरण कर, आत्म अवलोकन करें.

शुभ प्राप्य तब जब स्वेद-सीकर राष्ट्र को अर्पण करें..

शुभ 'शिव' बना, हमको गरल के पान की सामर्थ्य दे.

शुभ सृजन कर, कंकर से शंकर, भारती को अर्ध्य दें..

शुभ वही 'सुन्दर' जो जनगण को मृदुल मुस्कान दे.

शुभ वही स्वर, कंठ हर अवरुद्ध को जो ज्ञान दे..

शुभ तंत्र 'जन' का तभी जब हर आँख को अपना मिले.

शुभ तंत्र 'गण' का तभी जब साकार हर सपना मिले..

शुभ तंत्र वह जिसमें, 'प्रजा' राजा बने, चाकर नहीं.

शुभ तंत्र रच दे 'लोक' नव, मिलकर- मदद पाकर नहीं..

शुभ चेतना की वंदना, दायित्व को पहचान लें.

शुभ जागृति की प्रार्थना, कर्त्तव्य को सम्मान दें..

शुभ अर्चना अधिकार की, होकर विनत दे प्यार लें.

शुभ भावना बलिदान की, दुश्मन को फिर ललकार दें..

शुभ वर्ष नव आओ! मिली निर्माण की आशा नयी.

शुभ काल की जयकार हो, पुष्पा सके भाषा नयी..

शुभ किरण की सुषमा, बने 'मावस भी पूनम अब 'सलिल'.

शुभ वरण राजिव-चरण धर, क्षिप्रा बने जनमत विमल..

शुभ मंजुला आभा उषा, विधि भारती की आरती.

शुभ कीर्ति मोहिनी दीप्तिमय, संध्या-निशा उतारती..

शुभ नर्मदा है नेह की, अवगाह देह विदेह हो.

शुभ वर्मदा कर गेह की, किंचित नहीं संदेह हो..

शुभ 'सत-चित-आनंद' है, शुभ नाद लय स्वर छंद है.

शुभ साम-ऋग-यजु-अथर्वद, वैराग-राग अमंद है..

शुभ करें अंकित काल के इस पृष्ट पर, मिलकर सभी.

शुभ रहे वन्दित कल न कल, पर आज इस पल औ' अभी..

शुभ मन्त्र का गायन- अजर अक्षर अमर कविता करे.

शुभ यंत्र यह स्वाधीनता का, 'सलिल' जन-मंगल वरे..

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शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

निर्बलता दूर करने के उपाय : डॉ. कृष्णमोहन निगम, जबलपुर

निर्बलता दूर करने के उपाय : डॉ. कृष्णमोहन निगम, जबलपुर

-- बिदारीकंद  को पीस-छान कर समान भर खांड (शक्कर) मिलाकर रख लें. एक-एक चम्मच गौ-दुग्ध के साथ सेवन करने से निर्बलता दूर होगी.

--  दो-दो अंजीर सुबह-शाम गौ-दुग्ध में औंटाकर सेवन करें तो यौन निर्बलता घटेगी.

-- पाँच मुनक्के गौ-दुग्ध में पकाकर सुबह-शाम सेवन करने स एशारिरिक निर्बलता दूर होगी.

--  पुनर्नवा कि जड़ तथा छाल को मिलाकर प्रातःकाल निहारे पेट दुग्ध के साथ सेवन करें तो शारीरिक निर्बलता      दूर  होकर स्मरण शक्ति बढेगी.

मंगलवार, 5 मई 2009

स्वास्थ्य सम्पदा बचायें : दादी माँ के घरेलू नुस्खे -स्व. शान्ति देवी / सलिल

इस स्तम्भ के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा-विधि के प्रचलित नुस्खे दिए जा रहे हैं। हमारे बुजुर्ग इन का प्रयोग कर रोगों से निजात पाते रहे हैं।


आपको ऐसे नुस्खे ज्ञात हों तो भेजें।


इनका प्रयोग आप अपने विवेक से करें, परिणाम के प्रति भी आप ही जिम्मेदार होंगे, लेखक या संपादक नहीं।


रोग: अतिसार / दस्त


सूखा आंवला १० ग्राम तथा छोटी हरड ५ ग्राम दोनों को बारीक पीस लें। सुबह-शाम दोनों को १-१ ग्राम लेकर मिला लें तथा पानी के साथ सेवन करें।


चूर्ण आँवला औ' हरड छोटी का लें फाँक।
ठंडे जल के साथ तो, दस्त न सकता झाँक॥

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